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रोशनी को भी तो रोशन होने के अरमान होंगे,
कब तक ख़ुद जलो रोशन करो फ़रमान होंगे,
आतिश भी तो उसके बेपरवाह मेहमान होंगे,
अब तलक भी क्या वो ग़मों से अनजान होंगे,
अब रहने भी दो, जाने भी दो क्यों हैरान होंगे,
‘या रब’ कब तक गैरों ख़ातिर परेशान होंगे!
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