Monday, December 31, 2018

...बिलकुल नहीं!

~ ~ ~
ना उसके साथ रह पाता हूँ,
उससे बिछड़ के तो बिलकुल भी नहीं,
ना उसके हाथ ही आता हूँ,
उसे अपने हाथ तो बिलकुल भी नहीं,
ना चाह के कुछ कर पाता हूँ,
उसे ना चाहूँ यूँ तो बिलकुल भी नहीं!
~ ~ ~
§

Tuesday, December 18, 2018

...पतवार हूँ!

~ ~ ~
दीन और दुनिया की हदों से पार हूँ,
ख़ुश हूँ इतना की सबको नागवार हूँ,
उबरूँगा इस क़द्र, ना जीत ना हार हूँ,
डूबूँगा ना भँवर में, ख़ुद ही पतवार हूँ!
~ ~ ~
§

Saturday, December 1, 2018

...क़िस्मत भी!

~ ~ ~

एक दिल की ख़ला है क़िस्मत भी,

एक दिल की बला है मुसीबत भी,

एक दिल का ना रोना नसीहत भी,

एक दिल का ना होना ग़नीमत भी,

एक दिल का ना खोना निस्बत भी!

~ ~ ~

§

Friday, November 30, 2018

...सटीक है!

~ ~ ~
बिछड़ते जा रहे है हम,
ज़िंदगी की पहेली सटीक है,
घुलते जा रहे है हम,
फिर भी कहते हैं सब ठीक है!
~ ~ ~
§

Wednesday, November 21, 2018

...दो टूक!

~ ~ ~
एक टक बावरी धूप सी,
एक चादर साँवरी रूप सी,
सुरीली कोयल हूक सी,
बातें उसकी, दो टूक सी!
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§

...तूफ़ाँ-ए-क़िस्मत!

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तूफ़ाँ-ए-क़िस्मत ने जो मुझे उस से भी पार किया,
दिल यूँ तोड़ा, गुमां-ए-मोहब्बत भी तार तार किया!
~ ~ ~
Storm of destiny drifted me from her afar,
Broke heart, shredded illusion of love scar!
~ ~ ~
§

Tuesday, November 20, 2018

...क्षितिज गाँव!

~ ~ ~   
क्षितिज के उस पार, चलो उस गाँव,
खिलखिलाती धूप, मुस्कुराती छांव,
सुनहेरे कल के सपने चलते नंगे पाँव,
जिजीविषा हर लहर पर लगाती दाँव,
चलो क्षितिज के उस पार, उस गाँव!
~ ~ ~
§

Wednesday, November 14, 2018

...शायरी जाएगी!

~ ~ ~
आप मिलते रहिए, यारी होती जाएगी,
आप खिलते रहिए, शायरी होती जाएगी!
~ ~ ~
§

...पतिसे सी!

~  ~ ~
परत दर परत उसकी मिठास है,
पतिसे सी उसकी हँसी ख़ास है!
~ ~ ~
§

Saturday, November 10, 2018

...तेरी बातें!

~ ~ ~
तेरी बातें,
वो मुलाक़ातें,
वो शाम सी सुबह,
वो सुबह सी रातें,
वो तेरी बातें!
~ ~ ~
§

..हासिल नहीं!

~ ~ ~
तेरी हसरत के सिवा कुछ हमें हासिल नहीं,
मेरी चाहत में तुझ बिन कोई शामिल नहीं!
~ ~ ~
All i have is desire for you,
All i want is aspire for you!
~ ~ ~
§

Wednesday, November 7, 2018

...क़ायदे फ़ायदे!

~ ~ ~
यह जो दिल-ओ-दिमाग़ के क़ायदे हैं,
इनके पार जाने में ही या रब फ़ायदे हैं!
~ ~ ~
§

...ख़्वाहिश नहीं!

~ ~ ~
सिर्फ़ एक गुज़ारिश के सिवा कोई हमारी साज़िश नहीं,
सिर्फ़ तेरे अराइश के सिवा कोई हमारी ख़्वाहिश नहीं!
~ ~ ~
§

...दिवाली है!

~ ~ ~
नफ़रत से भरे दिलों की हर रात काली है,
मोहब्बत के दीये जलाओ की दिवाली है!
~ ~ ~
Hateful hearts’ every night’s dark,
It’s Diwali, let lamps of love spark!
~ ~ ~
§

Wednesday, October 31, 2018

...ढर्रे पर!

~ ~ ~
ऐसे वैसे या कैसे भी,
सीधे बढ़े या हट के चलें,
ज़िंदगी एक ढर्रे पर ले आती है,
इधर उधर या जिधर भी,
ऊँचे उड़ें या आसमान बने,
ज़िंदगी एक ज़र्रे पर ले आती है!
~ ~ ~
This that or however may,
Straight or maverick’s way,
Life brings to routine rust,
Here there or wherever may,
Fly high or be the sky,
Life brings to ravine dust!
~ ~ ~
§

Friday, October 26, 2018

...चुनिंदा ख़्वाब!

~ ~ ~
कुछ सरफिरे, कुछ समझदारी भरे,
तेरे ख़यालों का पुलिंदा बनाते है,
कुछ जागे, कुछ आसमानों आगे,
तेरे ख़्वाबों को चुनिंदा बनाते है!
~ ~ ~
§

Monday, October 22, 2018

...ख़ुश अक्स!

~ ~ ~
वो ख़ुशनुमा सा शख़्स है,
खिला हुआ हर अक्स है!
~ ~ ~
§

Sunday, October 21, 2018

...मेरा कल!

~ ~ ~
शायद कहीं किसी कोने मे मेरा कल छुपा हुआ मुझे देखता है,
शायद मैं उसको अनदेखा कर देता हूँ की वो ऐसा नहीं होगा,
शायद वो उस कोने कि अंधेरे जैसा नहीं होगा,
शायद वो उस खिड़की से झाँकती हुई रोशनी जैसा होगा,
शायद वो कोने से छुपा हुआ मुझे देखता है इस आस में की जो पास है उसे अपना ले,
शायद वो कहता है वो रोशनी सिर्फ़ एक सपना है,
शायद कोने मे पड़ा हुआ तेरा मैं, तेरा कल, बस तेरा अपना है!
~ ~ ~
§
21st October, 2013

Tuesday, October 9, 2018

...चुनाव हो!

~ ~ ~
ना जाने क्या क्या कहे जा रहे,
मारने की बात करते दँगो के पथराव में हो,
ना जाने क्या क्या खाए जा रहे,
वो भूखे मरे छप्पन भोग ख़याली पुलाव में हो,
ना जाने क्या क्या तोड़े जा रहे,
क्या तुम भी भागीदार इस बिखराव में हो,
ना जाने क्या क्या बटोरे जा रहे,
क्या तुम भी गुनहगार इस लूटे फैलाव में हो,
ना जाने क्या क्या किए जा रहे,
क्या तुम भी ख़रीदार इस बिके सुझाव में हो,
ना जाने क्या क्या बने जा रहे,
क्या तुम भी उम्मीदवार इस बार चुनाव में हो!
~ ~ ~
§

Saturday, October 6, 2018

...गए सरताज़!

~ ~ ~
यूँ कटे परवाज़ की फिर कभी उड़ के ना देखा,
यूँ गये सरताज़ की फिर कभी मुड़ के ना देखा!
~ ~ ~
§
(6th October, 2012)

Wednesday, October 3, 2018

...मसाइल फ़ाइल!

~ ~ ~
मुझको इन फ़ाइल के मसाइल से आज़ाद कर दो,
बेफ़िक्र बेख़ौफ़ जीने के इस्माइल से आबाद कर दो!
~ ~ ~
Free me from the travails of these files,
Grace me fearless carefree life whiles!
~ ~ ~
§

Thursday, September 27, 2018

...चरते घास!

~ ~ ~
जिन से कुछ इंक़लाब की आस है,
वो भी वज़ीर बनके राजा के पास है,
जिन से उम्मीद थी की करेंगे ख़ास है,
वो भी गधे निकले, चरते सिर्फ़ घास है!
~ ~ ~
§

Wednesday, September 26, 2018

...उम्मीदों सिरहाने!

~ ~ ~
मेरे सिरहाने उम्मीदों का तकिया लगाने दे ‘या रब’,
नाउम्मीदियों को सर लगा के बहुत सो चुका हूँ मैं!
~ ~ ~
§

Tuesday, September 4, 2018

...सोये रोये!

~ ~ ~
तेरा तस्सवुर ‘या रब’,
बिन सोये, दिन रोये,
मिले बिन बिछड़े जब,
ना सोये, ना रोये!
~ ~ ~
§

Saturday, September 1, 2018

...उम्मीद ए दीद!

~ ~ ~

वो आगे बढ़ते चले गए,

हम उस दीद में फँसे रहे,

वो फ़तह करते चले गए,

हम उम्मीद में फँसे रहे!

~ ~ ~

They kept on marching,

We were stuck in perspectives,

They kept on winning,

We were stuck in prospectives!

~ ~ ~

§

Sunday, August 26, 2018

...उम्र ए तन्हाई!

~ ~ ~
गर अब बिछड़े तो डूबेंगे इस गहराई से,
तमाम उम्र ना उबर पाएँगे इस तन्हाई से!
~ ~ ~
Parted now will drown in abyss,
Forever the life will love amiss!
~ ~ ~
§

Monday, August 13, 2018

...हिसाब किताब!

~ ~ ~
गीता क़ुरान बाइबल धम्मपद,
इश्क़ हुआ, सारे किताब छोड़ दिए,
जिएँगे मरेंगे सयाने दीवाने बनेंगे,
इश्क़ हुआ, सारे हिसाब छोड़ दिए!
~ ~ ~
§

Sunday, August 5, 2018

...अंजाम बाक़ी!

~ ~ ~
ऐ दिल, धड़कते रहना, ऐ साँस, चलते रहना,
शायद अभी ज़िंदगी में मक़ाम और बाक़ी हैं,
ऐ हिम्मत, बंधे रहना, ऐ हौसलों, बुलंद रहना,
शायद अभी खेल में अंजाम और बाक़ी हैं!
~ ~ ~
§
5th August 2011

Tuesday, July 17, 2018

...शबाब बेहिसाब...beauty profound!

~ ~ ~
बस यूँ ही तेरा ख़याल बेहिसाब आया,
जब डूबते हुए सूरज पर शबाब आया!
~ ~ ~
Then thought of you ascends unbound,
When Sun descends in beauty profound.
~ ~ ~
§

Thursday, July 12, 2018

...अबशार बरसा!

~ ~ ~
कुछ तो कमी रही होगी तेरी प्यास में,
कुछ तो कमी रही होगी तेरे एहसास में,
प्यासा हूँ पर प्यास बुझाने तरसा हूँ मैं,
बरसों से अबशार बन के बरसा हूँ मैं!
~ ~ ~
§

...सब्र गुलिस्ताँ !

~ ~ ~
कुछ क़दम ग़मों के आगे चलो तो पता चले,
चट्टानो पहाड़ों के आगे ही हमारा हौसला है,
कुछ क़दम गुलों के आगे चलो तो पता चले,
सब्र गुलिस्ताँ के आगे ही हमारा घोंसला है!
~ ~ ~
§

Tuesday, June 12, 2018

...भँवर पार!

~ ~ ~
ना मुझको यूँ दर किनार कर,
यूँ ही बातें मुझसे हज़ार कर,
दरिया-ए-मोहब्बत के भँवर,
मुझको सँभाल के पार कर!
~ ~ ~
§

Monday, June 4, 2018

...तक़दीर तस्वीर!

~ ~ ~
जहाँ नाकामियों को भी उम्मीदें छोड़ देती हैं,
जहाँ हौसलों को भी हसरतें छोड़ देती हैं,
वहाँ भी टूटते तारों की तस्वीर जोड़ देती हैं,
वहाँ भी मेरी हमसफ़र तक़दीर मोड़ देती हैं!
~ ~ ~
§

...सुबह बन!

~ ~ ~
जब रात के पहलू में सुबह खोने लगे,
जब हँसी के पहलू में आँख रोने लगे,
तब पहलू में तेरे सारे ग़म सोने लगे,
तब सुबह बन के तुम मेरे होने लगे!
~ ~ ~
When the night fails dawn to bloom,
When the laughter cries of gloom,
Then sadness melts in your embrace,
Then you be mine like morning grace!
~ ~ ~
§
#troubled translation#

Thursday, May 24, 2018

...मुकर गया!

~ ~ ~
बस अब ठीक हूँ,
एक और बरस से यूँ ही गुज़र गया,
बस अब ठीक हूँ,
तू फिर जवाब से यूँ ही मुकर गया!
~ ~ ~
§

Saturday, May 5, 2018

...बाक़ी साक़ी!

~ ~ ~
मस्त हूँ तेरी मस्ती में साक़ी,
पिलाए जा जितनी है बाक़ी!
~ ~ ~
Soar on, dalliance deft,
Pour on, whatever’s left!
~ ~ ~
§

Sunday, April 22, 2018

...बे-पर्दा साज़िश!

~ ~ ~
मेरे माज़ी से कह दो मुझसे अब बे-पर्दा रहा नहीं जाता,
वो बारहा आ के मेरे दीदार की ख़्वाहिश ना कर,
मेरे क़ाज़ी से कह दो मुझसे अब बेगुनाह रहा नहीं जाता,
वो बारहा आ के मुझको बरी करने की साज़िश ना कर!
~ ~ ~
§
Tell my past that i can’t live without veil,
Don’t come again wishing for a glance,
Tell my judge that i can’t live without jail,
Don’t come again freeing me by chance!
~ troubled translation :)

Saturday, April 21, 2018

...आतिशें दिल!

~ ~ ~
वो एक रोज़ जो ज़ाहिर होना हो, हो ही जाएँगे,
‘या रब’ आतिशें दिल में कब तक छुपाए जाएँगे!
~ ~ ~
§

...बहता पानी!

~ ~ ~
तुमको एक बात बतानी है,
यह जो बहता पानी है,
यह बूँद से शुरू,
चट्टानो से गुरु,
आया है सब को छोड़ता हुआ,
झूठ के किनारों को तोड़ता हुआ,
रेत से रिश्ते निभाता हुआ,
जमीं की किश्तें चुकाता हुआ,
जंगलों को सँवारता हुआ,
पत्थरों को तराशता हुआ,
तुम्हारे आँगन में भी बरसा,
तुम्हारी छूअन को भी तरसा,
आख़िर सागर में समाने,
हारे हुओं में आस जगाने,
महफ़िलों से इस मुक़ाम तक पहुँचा हैं,
मुश्किलों से अपने मकान तक पहुँचा हैं,
सुनो!
तुमको एक बात बतानी हैं,
यह जो बहता पानी हैं,
इसकी जीत को नज़रंदाज ना कर,
यह जीता हुआ सरताज है, हाँ कर,
इसको माथे से लगा,
यही जीत की निशानी है,
यह जो बहता पानी हैं!
~ ~ ~
§
(Reply to the people who undermine the achievement of others without knowing the grind they have gone through to be there!)

Thursday, April 19, 2018

...लड़ती अँगड़ाइयाँ!

~ ~ ~
ख़ूबसूरत सी झलक है उसकी अँगड़ाइयों में,
मोहब्बत की झलक है उसकी लड़ाइयों में!
~ ~ ~
§

Tuesday, April 17, 2018

...सलीब क़रीब!

~ ~ ~

मसीहा को भी सर अपने सलीब उठाना पड़ता है,

उसकी मर्ज़ी को दिल के क़रीब उठाना पड़ता है!

~ ~ ~

§

Wednesday, April 4, 2018

...मेरी मानो!

~ ~ ~
मेरी मानो,
उससे बात कर लो,
दिल साफ़ कर लो,
उसकी मानो,
उससे मुलाक़ात कर लो,
मिल, माफ़ कर लो!
~ ~ ~
§

Monday, April 2, 2018

... रातों का क़ायदा!

~ ~ ~
कुछ फ़ायदा नहीं इन बातों का,
ख़त्म ख़ामोशी से होती हैं,
कुछ क़ायदा नहीं इन रातों का,
ख़त्म बेहोशी से होती हैं!
~ ~ ~
§

Friday, March 23, 2018

...चलें सयाने!

~ ~ ~
अब किसको घर कहें हम,
एक हथेली, चार दाने,
शहर जंगल भटकते हम,
पोटली उठा चलें थे सयाने!
~ ~ ~
§

... फ़ितरत ए दिल!

~ ~ ~
है एक दर्द ए दिल की फ़ितरत भी,
की रह रह के फिर उभर आना,
है एक तसल्ली ए दिल की कसरत भी,
की रह रह के फिर उसे समझाना!
~ ~ ~
§

Saturday, February 24, 2018

...तकल्लुफ़ ए मोहब्बत!

~ ~ ~
अजीब है तकल्लुफ़ ए मोहब्बत का रिश्ता उनसे,
ना मैं कुछ कहता हूँ, ना वो कुछ सुनते हैं मुझसे!
~ ~ ~
§

Tuesday, February 20, 2018

...उन्नींदे ग़ालिब!

~ ~ ~
उन्नींदे मन मे लफ़्ज़ों का सैलाब आया है,
जुनून मे बक रहा है जाने क्या क्या कुछ,
'या रब' ग़ालिब याद बेहिसाब आया है!
~ ~ ~
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...तीर-ए-ग़म!

~ ~ ~
इतने भी नहीं है तरकश-ए-वक़्त मे तीर-ए-ग़म,
'या रब' क्या शायरी की किताब लिखे हम!
~ ~ ~
§

... शौक़ ए सुख़न!

~ ~ ~
ग़म-ए-मोहब्बत से शायरी ज्यदा आसान होती है,
वरना सिर्फ़ शौक़-ए-सुख़न से ज़िंदगी हैरान होती है!
~ ~ ~
§

... शायरी कहाँ!

~ ~ ~
शायरी कहाँ,
तुकबंदी की तरकीब है,
इधर तोड़ी, उधर जोड़ी,
नहीं जमी तो और मरोड़ी,
बे-सिर-पैर सी अजीब है!
~ ~ ~
§

...सब चेहरे!

~ ~ ~
हटा दिए सब पहरे,
दिखा दिए सब चेहरे,
बातें बेतुकी,
बातें बेतकल्लुफ़ी,
राज गहरे,
ख़्वाब सुनहेरे!
~ ~ ~
§

Monday, February 19, 2018

...लुफ़्त ए मंज़िल!

~ ~ ~
कुछ क़दम वो चलें तो रास्ता ए मंज़िल आधा हो जाये,
कुछ क़दम साथ चलें तो लुफ़्त ए मंज़िल ज्यदा हो जाए!
~ ~ ~
§

...शायरी जाये!

~ ~ ~
फिर किसी बेवफ़ा से यारी हो जाये,
क़त्ल करे वोह वफ़ा का,
फिर हम से शायरी हो जाये !
~ ~ ~
§

Wednesday, January 24, 2018

...जीते नहीं!

~ ~ ~
उन के लिये जीते हैं,
जिन के लिये जीते नहीं!
~ ~ ~
§
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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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