Sunday, September 14, 2025

…सयाने मिलेंगे!

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हम सी मिट्टी के बने भी कहीं लोग मिलेंगे,

आधे मुरझाये फूल भी किसी बाग खिलेंगे,

सिर्फ़ वही जीने का तरीका किताबी नहीं,

हम सा जीने मे भी तो यूँ कुछ ख़राबी नहीं,

कहीं हम से भी राब्ता कुछ दीवाने मिलेंगे,

दीन दुनिया से बेख़बर कुछ सयाने मिलेंगे!

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3 comments:

  1. खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  2. Wah Bhai Wah !! 👍🏻👏🏻👏🏻👌🏻👌🏻

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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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