Thursday, December 26, 2019

...गर अच्छा!

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गर अच्छा हुआ करे ‘या रब’ तो बात ही क्या है,
करता फिरे यूँ इस तरह तो ख़ुराफ़ात ही क्या है!
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Wednesday, December 25, 2019

...चाँद शागिर्द!

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जैसे चाँद जमीं के इर्द-गिर्द रहे,
साथ भी मोहब्बत के शागिर्द रहे!
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Thursday, December 19, 2019

...शहर-ए-घर!

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गर शहर-ए-घर ही शहर-ए-रोज़गार हो जाए,
वालिदें की रहमत से ज़िंदगी गुलज़ार हो जाए!
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Friday, December 6, 2019

...विसाल नहीं!

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दौड़ते रहते पर कहीं पहुँचते नहीं, क्या यह भी कमाल नहीं,
कोशिश करते रहते है पर जीतने की भी कोई मिसाल नहीं,
जवाबों से झूझते रहते है पर पूछने जैसा कोई सवाल नहीं,
सालों साथ चलते है पर फिर भी कहते कोई विसाल नहीं!
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Monday, November 25, 2019

...उस के बिना!

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उस के बिना जीना,
ज़िंदगी एक आफ़त सी बन गयी है,
उस की याद मे जीना,
ज़िंदगी एक आदत सी बन गयी है,
उस के बिन नहीं और जीना,
ज़िंदगी एक राहत सी बन गयी है!
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25.11.2012

Sunday, November 24, 2019

...जाते झूठ!

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क़िस्सों कहानियों मे भी कुछ ज़िंदगानी उड़ेल गये,
टूटे गिटार मे भी कुछ तारों से खेल गये,
सूनी आनोखों मे भी कुछ सच टटोल गये,
जाते जाते मेरे हिस्से का भी कुछ झूठ बोल गए!
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24.11.2011

Wednesday, November 20, 2019

...शोर पुरज़ोर!

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खामोशी कहाँ? शोर है, पुरज़ोर आएगा,
वक्त ही है, कभी तो उसको गौर आएगा!
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Tuesday, November 5, 2019

...बहाने सायने!

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कम से कम एक काम करो
यूँ मुझसे बातें दो चार करो,
यूँ कभी मिल के शाम करो,
यूँ बहाने सयाने हज़ार करो!
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Saturday, November 2, 2019

...धुऐं के ग़ुबार!

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फिर मेरे सिरहाने बैठी शाम,
धुऐं भरे दिल्ली के ग़ुबार में,
बातें खिले गुलाब की लिए,
रातें खोए महताब की लिए!
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Thursday, October 31, 2019

...बदगुमानी बदमिज़ाजी!

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बदगुमानी से बदमिज़ाजी के सफ़र पर,
दिल-ओ-दिमाग़ सख़्त होता जा रहा है,
ज़िंदगी ग़ुस्ताख़ तल्खियों के भँवर पर,
परेशान हैं की वक़्त निकला जा रहा है!
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Monday, October 28, 2019

...बेख़बर होता!

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है जो मेरी खबर कुछ उसको भी,
यूँही मैं ख़ुद से बेख़बर नहीं होता,
है वो मेरा मुंसिफ़ मेरा हाफ़िज़ भी,
यूँही मैं ख़ुद से बेख़बर नहीं सोता!
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Wednesday, September 18, 2019

...बारहा बारह!

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अब वादे वफ़ा मुझसे बारहा करो,
तुमने बारह बजा दिए आते आते!
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Now you must oft repeat promise of loyalty soon,
Anyway you have come when the clock struck noon!
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Saturday, September 14, 2019

जवाब -ए -अफ़वाह!

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अफ़वाह उड़ाने वाले को भी हम मिलने का पता देते है,
फिर वो घबरा के अफ़वाहों को और तेज़ हवा देते है!
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Monday, September 9, 2019

...सौ पहलू!

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उसको हर बात के सौ पहलू जानने होते है,
किस संगमरमर से तराशी शतरंज की बिसात,
किस संगमरमर से बनी ताज़ की बात,
किस तारे के साथ चले तो ना गुज़रे रात,
इतना सोचे जैसे ख़ानो से हीरे छानने होते है,
अपने बीच कौनसे सौ क़समें वादे मानने होते है,
उसको हर बात के सौ पहलू जानने होते है!
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27.04.2017

Tuesday, September 3, 2019

...मिट्टी रेत!

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बेख़बर बेहोश जिए जा रहे है,
यूँ मिट्टी से रेत हुए जा रहे है!
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Tuesday, August 27, 2019

...बात चले!

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फिर कुछ दिल मे ऐसी रात चले,
फिर कुछ चाँद का साथ रहे,
फिर कुछ तारों की बात चले!
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Wednesday, August 14, 2019

...बिसात फ़ायदा!

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एक बिसात बड़ी देखे सोचे एक प्यादा,
कोई बने राजा और कोई उससे ज़्यादा,
जुगत लगाते मर गये ऐसा क्या क़ायदा,
हार सी जीत लिए यूँ खेले क्या फ़ायदा!
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Friday, August 9, 2019

...मौजूद वजूद!

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एक दिन सो के उठता हूँ, मुझसे मेरा वजूद छिन जाता है,
एक दिन सोता भी नहीं, मुझसे मेरा मौजूद छिन जाता है!
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Friday, July 12, 2019

...बवंडर सा!

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उड़ती धूल के बवंडर सा है,
फैली रेत के समंदर सा है,
बिखरे दिलों के मंज़र सा है,
यह दिल्ली भी शहर क्या है?
फ़ौलाद से बना खंडर सा है!
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Inspired by the haze in delhi!
12th July, 2019

Friday, July 5, 2019

...सवेरे शाम!

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कुछ सवेरे शाम से
कुछ मिले बेनाम से
कुछ रहे नाकाम से
कुछ रातों के सहारे
कुछ भूले हुए किनारे
कुछ तेरे लिखे पैग़ाम से
कुछ सुनहेरे तेरे नाम से
कुछ बेबस अंजाम से
कुछ भागते परेशान से
कुछ झाँकते गिरेबाँ मे
कुछ सवेरे फिर शाम से
अब मेरे किस काम से!
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Monday, June 3, 2019

...सुर्ख़ लिहाफ़!

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है शाम ज़िंदगी की सुर्ख़ स्याह से भरी,
वो दीद की रौशनी अब मिलती हमें कहाँ,
है रात ज़िंदगी की सिर्फ़ लिहाफ़ से ढकी,
वो ईद की चाँदनी अब मिलती हमें कहाँ!
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... must dust!

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बेख़बर से जिये जा रहे हैं,
मोम से रेत हुए जा रहे हैं!
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Living life like it’s must,
Surely melting to dust!
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Tuesday, May 7, 2019

...नये बहाने!

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एक समय की तार छेड़े दो तराने,
अधूरी कहानी से बनते अफ़साने,
मिले बिछड़े आये गये साल पूराने,
साथ रहने के ढूँढते सौ नये बहाने!
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Monday, May 6, 2019

...चाँद फ़लक!

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मुद्दतों बाद उनकी झलक पाए,
शिद्दतों बाद चाँद फ़लक आए!
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Tuesday, April 2, 2019

..उसी फ़ितरत!

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कभी हाँ, कभी ना,
उसी फ़ितरत का शिकार हूँ,
मर्ज़ है नहीं कोई,
या शायद आख़िर बीमार हूँ!
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Friday, March 29, 2019

...जुदाई का सबब!

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पूछें क्या उनसे जुदाई का सबब,
हर बार जैसे कहेंगे बस ‘या रब’!
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Tuesday, February 5, 2019

...गर ग़रज़ गुज़रे!

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गर ग़रज़ गुज़रे के अफ़साने बहुत है,
यूँ तुझसे बिछड़ने के बहाने बहुत है!
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Friday, January 18, 2019

...राह आसान!

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जाओ तुम भी कोई राह आसान चुन लो,
यूँ ही गली कूँचे से कोई समान चुन लो!
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...पुकारते निहारते!

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पुकारते रहिए,
मैं यूँ ही मिलने चलता चला आऊँगा,
निहारते रहिए,
मैं यूँ ही दिल में बसता चला जाऊँगा!
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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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