Monday, May 25, 2020

...चलता नसीब!

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वो चलता रहा,
तुमको खबरों झगड़ों का मसाला मिलता रहा,
वो चलता रहा,
उसको रोटी नमक भी नसीब ना हुआ!
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...उम्मीद-ए-ईद!

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एक ईद ही काफ़ी है उम्मीद-ए-दीद की ख़ातिर,
हम रोज़ ज़िंदगी तेरी ईद के इंतिज़ार मे रहते हैं!
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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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