Thursday, September 21, 2017

... रिसती ज़िंदगी!

~ ~ ~
रिसती रही ज़िंदगी आँखों से,
अब खोखला हो गया हूँ में,
कभी जोश-ए-वलवले थे,
अब पस्त-ए-हौसला हो गया हूँ में,
लगता था ज़मीं मिल गयी,
बस ही जाऊँगा,
तिनकों बिखरा घोंसला हो गया हूँ में,
क्या क्या होना चाहता था,
क्या क्या हो सकता था,
'या रब' अब क्या हो गया हूँ में,
खोखला हो गया हूँ में!
~ ~ ~
§

Thursday, September 14, 2017

...सौ बहाने!

~ ~ ~
मुझको उसके साथ के सौ फ़साने याद हैं,
चौंसठ खाने शतरंज के,
सर खपाते दो दीवाने याद हैं,
एक प्याला कॉफ़ी के,
चुस्की लेते दो सयाने याद हैं,
मुझको उसके साथ के सौ बहाने याद हैं!
~ ~ ~
§
My photo
~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

Followers