Tuesday, December 6, 2016

...राज़-ए-ताज!

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दस्तूर-ए-ज़िंदगी का राज़ यही है,
चला गया उसका ही ताज़ सही है!
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...मगरूर रहे!

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पास हो कर भी सभी दूर रहे,
कभी ख़फ़ा, कभी मगरूर रहे!
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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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