Monday, June 3, 2019

...सुर्ख़ लिहाफ़!

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है शाम ज़िंदगी की सुर्ख़ स्याह से भरी,
वो दीद की रौशनी अब मिलती हमें कहाँ,
है रात ज़िंदगी की सिर्फ़ लिहाफ़ से ढकी,
वो ईद की चाँदनी अब मिलती हमें कहाँ!
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... must dust!

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बेख़बर से जिये जा रहे हैं,
मोम से रेत हुए जा रहे हैं!
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Living life like it’s must,
Surely melting to dust!
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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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