Monday, December 18, 2017

...जवाब-ए-ताल्लुक़!

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जो ताल्लुक़ कभी थे ही नहीं वो टूटते कैसे,

एक तरफ़ा ही सभी रिश्ते थे वो छूटते कैसे! 

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Tuesday, December 5, 2017

...जज़्बा ए ज़िंदगी!

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जज़्बा गर होता तो बात ही क्या थी,
मामूली ख़्वाबों की औक़ात ही क्या थी,
सिर्फ़ वलवले हैं, जुनून नहीं,
सिर्फ़ खोखले हैं, सकूँ नहीं,
ज़िंदगी ऐसी मिली ख़ैरात ही क्या थी!
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Monday, November 13, 2017

...lost & found!

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lost & found & lost & found & lost again,
game goes on, life goes on, memories remain,
caged heart, shackled soul,
thought & thought & thought, the fleeting chain,
courage scattered, dreams shattered,
picking up the pieces to dream on again,
happiness halted, faith faulted,
crying with joy, laughing in pain,
wandering eyes, clueless highs,
far away from the truth, simple & plain,
game goes on, life goes on, dreams remain!
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13/11/12

... तरकीबें सब!

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क्यूँ ना हो जाए उनसे मोहब्बत 'या रब',
तड़पाने की आती है उनको तरकीबें सब!
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Sunday, November 12, 2017

...सुलगती हवा!

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गुनगुना गुनगुना सा हूँ,
हवा बन के उड़ा नहीं,
सुलगा सुलगा सा हूँ,
पूरी तरह जला नहीं!
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12.11.2011

...आदत-ए-बेकार!

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कुछ ग़ुलामी-ए-रोज़गार ने बर्बाद किया,
कुछ फ़ितरत-ए-यार ने बर्बाद किया,
रहा सहा जो भी,
वो आदत-ए-बेकार ने बर्बाद किया!
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Monday, October 16, 2017

... चाहत आदत!

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बिना बातें अब जी नहीं लगता,
तेरी बातों से मिलती राहत है,
सीधे साधे अब जी नहीं लगता,
कमबख़्त दिल की कोई शरारत है,
आसान जीते अब जी नहीं लगता,
मोल लेना चाहे कोई आफ़त है,
'या रब' यह आदत है या चाहत है!
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Sunday, October 15, 2017

...मज़बूर दूरियाँ!

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रातें दिनों को उधेड़ती रहीं,
हक़ीक़त ख़्वाबों को जलाती रही,
ख़ामोशी मजबूरियाँ जताती रही,
ज़िंदगी दूरियाँ बढ़ाती रही!
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15.10.2011

Thursday, October 12, 2017

... नीयत-ए-ख़ुदा!

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ख़ुदा की नीयत पर भी अब भरोसा नहीं रहा,
देखें जो खेल उसके मुझको तड़पाने वाले!
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Thursday, September 21, 2017

... रिसती ज़िंदगी!

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रिसती रही ज़िंदगी आँखों से,
अब खोखला हो गया हूँ में,
कभी जोश-ए-वलवले थे,
अब पस्त-ए-हौसला हो गया हूँ में,
लगता था ज़मीं मिल गयी,
बस ही जाऊँगा,
तिनकों बिखरा घोंसला हो गया हूँ में,
क्या क्या होना चाहता था,
क्या क्या हो सकता था,
'या रब' अब क्या हो गया हूँ में,
खोखला हो गया हूँ में!
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Thursday, September 14, 2017

...सौ बहाने!

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मुझको उसके साथ के सौ फ़साने याद हैं,
चौंसठ खाने शतरंज के,
सर खपाते दो दीवाने याद हैं,
एक प्याला कॉफ़ी के,
चुस्की लेते दो सयाने याद हैं,
मुझको उसके साथ के सौ बहाने याद हैं!
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Thursday, August 31, 2017

...अपने रास्ते!

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वो जो उनके साथ मेरे जज़्बात भी चले जाते,
वो अपने रास्ते, हम अपने रास्ते!
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Wish if my love left with my love,
On our way, on our way!
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Saturday, August 19, 2017

...reluctant rebel!

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दबे पाँव गुज़रना चाहता था क़ाफ़िले के साथ,
क़िस्मत ए अहमक ने हंगामा बरपा दिया!
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Tuesday, August 15, 2017

आज़ादी का दिन !

New India!
आज़ादी का दिन, आज़ादी के नाम!
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खुल के हँस, अब मत झिझक,
एक नए मुल्क की बुनियाद है तू,
खुल के चहक, अब मत हिचक,
एक नयी सुबह की फ़रियाद है तू,
सर उठा, सीना तान,
हिम्मत जुटा, जुट जा,
अब भी आज़ाद है तू!
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Friday, August 11, 2017

...पाले की लखीरें!

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वो कुर्सी बदलते ही अपनी आवाज़ बदल लेते हैं,
सवाल वही रहते हैं वो अपने जवाब बदल लेते हैं,
कैसी उनके ज़हन की ताक़त है,
वो दिमाग़ बदलते ही दिल बदल लेते हैं,
हाव भाव क्या वो अपना ज़मीर बदल लेते हैं,
हम पाले के किनारे तमाशबीनों से,
हैरत से देखते रहते और वो खेल बदल लेते है,
अजीब करिश्माई है यह पाले की लखीरें,
वो पाला बदलते ही अपने अन्दाज़ बदल लेते हैं,
आवाज बदल लेते है!
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Wednesday, August 9, 2017

...angel behold!

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You are the words unwritten,
You are the stories untold,
You are the mystery you try to hide,
You are the angel you behold!
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...याद फ़रियाद!

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कुछ अनदेखे से ख़्वाब हैं,
कुछ अनकहे से जवाब हैं,
कुछ अनपूछे से सवाल हैं,
कुछ अनझेले से बवाल हैं,
ज़िंदगी अनकही फ़रियाद है,
ज़िंदगी तेरी याद थी,
ज़िंदगी तेरी याद है!
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...कायर शायर!

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बड़ी खनक है मोहब्बत के मिलने की भी,
हर जंग मे कायर बना फिरता है,
बड़ी कसक है मोहब्बत के मिल के भी ना मिलने की,
हर रंग मे शायर बना फिरता है!
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...डेरा जमाए!

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अब तो उम्मीद की भी उम्मीद नहीं,
बैठे हैं,
धूनी रमाए,
चिलम सुलगाए,
डेरा जमाए,
मस्त मौला अपने आप में,
अब तो किसी के दीद की भी उम्मीद नहीं!
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Sunday, August 6, 2017

...चलो तुम!

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यह रातें चाँद जैसी,
रोशन लमहे ले चलो तुम,
तेरी बातें सागरों सी,
भीगे लम्हे ले चलो तुम,
सब कुछ तो कह दिया है,
अब क्या रहना तेरे बिन,
साथ ले चलो तुम!
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Sunday, June 18, 2017

...चहक देख!

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कभी किसी दिन अपने को भी तेरी आँखों से देखूँगा,
जैसे तुम इन नाकामयाबियों में कामयाब होने की चमक देख लेती हो,
जैसे तुम इन तनहाइयों में साथ होने की ललक देख लेती हो,
कभी किसी दिन तुमको भी अपनी आँखों से दिखलाऊँगा,
कैसे तुम हर चीज़ मे ख़ुशी की झलक देख लेती हो,
जैसे तुम ख़ामोश परिंदों की भी चहक देख लेती हो!
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...सहर मिट!

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कुछ तूफ़नो से,
कुछ साहिलों से,
वक़्त के साथ हर लहर मिट जाती है,
कुछ ईमान से,
कुछ बे-इमानी से,
वक़्त के साथ हर सहर मिट जाती है!
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...नाम जैसे!

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शिद्दत से करी मोहब्बत भी हुई नाकाम हो जैसे,
शायर के हर हर्फ़ मे मोहब्बत का नाम हो जैसे!
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...tempo high!

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ख़ुद की तारीफ़ कर के अपना tempo high करिए,
वरना लोग तो चाहेंगे कि आप हर बात पर sigh करिए!
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...brownie लूट!

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बँट रहे है brownie points,
बेटा लूट सके तो लूट,
यह गद्दी, वो कुर्सी,
कुछ तुझसे ना जाए छूट,
कुछ लोग लगे की ज़्यादा ले गए points,
तू उन मे डलवा दे फूट,
अंग्रेज़ों सा divide and rule कर,
मार सबको बूट,
काम अच्छा हो पर ना हो brownie points का स्कोप,
तू उस टीम पर तान दे तोप,
कटाक्ष के बाण कर शूट,
शोर मचा कर, कर हूट,
लूट मची है लूट,
बेटा लूट सके तो लूट!
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Friday, June 9, 2017

...वक़्त बहुत!

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उस वक़्त गर वक़्त होता तो तेरी पूरी कहानी सुनता,
उस वक़्त गर वक़्त होता तो तेरी ही  ज़ुबानी सुनता,
पर अब ना तेरी कहानी याद है,
पर अब ना तेरी ज़ुबानी याद है,
पर अब कमबख़्त वक़्त बहुत है!
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Thursday, April 20, 2017

...आस्तीनो के साँप!

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क्यूँ मुझे घूरते है आस्तीनो के साँप,
डँसते नहीं,
क्या मेरे बदहालात को लेते है भाँप,
तहज़ीब वाले लगते है,
कहीं लखनवी तो नहीं,
कहते हैं,
पहले आप, पहले आप!
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Saturday, April 15, 2017

... फँसना बाक़ी!

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अभी ग़ुलामी की बंधी ज़ंजीरों का कसना बाक़ी है,
अभी बची कुची उम्मीदों का डँसना बाक़ी है,
अभी आहिस्ता आहिस्ता मुकम्मल फँसना बाक़ी है!
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...शर्तों सी!

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समझते हो, समझाते हो,
पहेलियाँ परतों सी उतारते हो,
जीतते हो, हारते हो,
ज़िंदगी शर्तों सी गुज़ारते हो!
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Tuesday, April 4, 2017

...आखर ढाई से!

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अब किस किस को बताएँगे,
पढ़ाएँगे हम यह सब,
अब जो गुज़री इस तरह,
जिस तरह ज़िंदगी हमारी,
तो अब सुने कौन,
तो अब पढ़े कौन,
ना इस मे वादे ख़ुशनुमा कल के है,
ना इस मे इरादे आनेवाले कल के है,
है तो बस यह ज़ुबानी दो टूक,
थोड़ी जी, बाक़ी भूल चूक,
अभी सोचे फिरो की वो पढ़ते होंगे,
जो रहा सहा गुमान वो भी चला जाएगा,
सच्चाई के चक्कर मे मत पड़,
जान कर क्या पाएगा,
भले छपवा दे यह सब स्याही से,
नहीं पढ़ते वो तेरे आखर ढाई से!
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...बातों सी बातें!

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ना दिन से दिन है ना रातों सी रातें,
सुलगते हुए अंगारे से दिन तेरे बिन,
भटकते हुए बंजारे सी रात तेरे बिन,
चाँद भी बिना चाँदनी सा,
गुलाब भी बिना चाशनी सा,
ना सुबह सी सुबह है ना शामों सी शामें,
ख़ामोश हवा भी है, तुझे कुछ पता भी है,
ना हँसी सी हँसी ना बातों सी बातें!
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Thursday, March 30, 2017

...शाम तमाम!

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सुबह होती है,
शाम होती है,
ज़िंदगी यूँ ही बेवजह,
तमाम होती है!
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Tuesday, March 28, 2017

...याद आमादा!

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ना भरूँ ग़ुलामी से तो कैसे भरूँ यह खला,
जो रह रह कर तेरी याद से भरने को  आमादा है!
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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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