'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Thursday, March 30, 2017
...शाम तमाम!
~ ~ ~
सुबह होती है,
शाम होती है,
ज़िंदगी यूँ ही बेवजह,
तमाम होती है!
~ ~ ~
§
Tuesday, March 28, 2017
...याद आमादा!
~ ~ ~
ना भरूँ ग़ुलामी से तो कैसे भरूँ यह खला,
जो रह रह कर तेरी याद से भरने को आमादा है!
~ ~ ~
§
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