'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Saturday, January 11, 2020
...कमबख़्त दरख़्त!
~ ~ ~
वो जो तख़्त पर बैठे इतने सख़्त क्यूँ है,
वो ज़मीन पे गिरे इतने कमबख़्त क्यूँ है,
जब लगायी जंगल में जानवरों ने आग,
राख़ बोली जले हुए बस दरख़्त क्यूँ है!
~ ~ ~
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