'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Saturday, June 27, 2020
...किफ़ायतें कितनी!
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जद्दोजहद की ना जाने ‘या रब’ अभी और हैं रवायतें कितनी,
ज़िंदगी तनख़्वाह सी खर्च हो रही है करेंगे किफ़ायतें कितनी!
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Tuesday, June 16, 2020
... अब ज़ाहिर!
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दिल अब नहीं उस के चेहरे से ज़ाहिर हो रहा है,
ज़िंदगी के खेल मे ‘या रब’, वो माहिर हो रहा है,
हर बात बिसात शतरंज जैसा शातिर हो रहा है,
‘या रब’ तेरा नाम लेते हुए भी काफ़िर हो रहा है!
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