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ना अच्छे बुरे वक्त का हिसाब बताओ,
जिसे पढ़ के झूठा ही सही, खुश हो सकूँ,
कोई तो ऐसी ख़ुशगवार किताब बताओ,
वरना हर तरफ़ इल्म ओ दीन की बातें है,
यह भला, वो बुरा, यह सही, वो ग़लत,
ऐसी भी भला कोई मनमर्ज़ी से दुनिया है,
अब बस नसीहतें ना ख़राब बताओ!
रहने दो यह सब,
तुम बस ख़ुशगवार किताब बताओ!
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