~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
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वो मुझसे अनजान बेख़बर जा रहे हैं,
हम ख़ामोश बेहोश से जिये जा रहे है,
जी चाहे उनको जी भर यूँ गले लगा लूँ,
मेरे सब आग़ोश यूँ हवाओं मे जा रहे है!
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