'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Sunday, September 18, 2022
…किताब आये!
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क्या क्या सम्भाले क्या क्या रूबाब हिसाब आये,
जब वह शबाब आये ना काम कोई किताब आये!
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Tuesday, September 6, 2022
…हसरतें मुकम्मल!
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तुम तो मेरी हसरतों के दायरों का हासिल-ए-मुकम्मल हो,
मैं तुम्हारी हसरतों के दायरों मे आऊँ तो ज़िंदगी मुकम्मल हो!
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…गुलशन चौतरफ़ा!
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हम यूँ ही ख़ामख़ा खपे जा रहे हैं,
वो अनजान बेपरवाह हुए जा रहे हैं,
सिंचता हूँ क्यारी मैं इकतरफ़ा,
वो रोंदते है गुलशन चौतरफ़ा!
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