~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
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किस पहचान को पाकर जान पायेंगे,
तमगे ताज तिजोरी से पार कब पायेंगे,
नाम के पहले भी तो कोई बेनाम होगा,
उसको ढूँढो, उसके साथ ही पार जाएँगे!
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