Wednesday, July 4, 2007

रात दिन के हमसफ़र मेरे साथ चल

जो कभी हम चलें,
हमसफ़र जो भी हो...


जो कभी वोह कहें ,
हमसफ़र तुम ही हो...


जो कभी चांद ना डूबे,
रात सफ़र जो भी हो...

कभी आस्मां ना खुले,
दिन बस सफ़र ही हो...



जो कभी आंसू झलकें,
दिल का जो भी हो ...

जो कभी गेसू खुलें,
लहर हर तरफ ही हो ...



जो कभी हम चलें,
हमसफ़र सिर्फ तुम ही हो...

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