'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Tuesday, December 6, 2016
...राज़-ए-ताज!
~ ~ ~
दस्तूर-ए-ज़िंदगी का राज़ यही है,
चला गया उसका ही ताज़ सही है!
~ ~ ~
§
...मगरूर रहे!
~ ~ ~
पास हो कर भी सभी दूर रहे,
कभी ख़फ़ा, कभी मगरूर रहे!
~ ~ ~
§
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