Tuesday, February 20, 2018

...उन्नींदे ग़ालिब!

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उन्नींदे मन मे लफ़्ज़ों का सैलाब आया है,
जुनून मे बक रहा है जाने क्या क्या कुछ,
'या रब' ग़ालिब याद बेहिसाब आया है!
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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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