'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Friday, March 23, 2018
...चलें सयाने!
~ ~ ~
अब किसको घर कहें हम,
एक हथेली, चार दाने,
शहर जंगल भटकते हम,
पोटली उठा चलें थे सयाने!
~ ~ ~
§
... फ़ितरत ए दिल!
~ ~ ~
है एक दर्द ए दिल की फ़ितरत भी,
की रह रह के फिर उभर आना,
है एक तसल्ली ए दिल की कसरत भी,
की रह रह के फिर उसे समझाना!
~ ~ ~
§
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