Friday, March 23, 2018

...चलें सयाने!

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अब किसको घर कहें हम,
एक हथेली, चार दाने,
शहर जंगल भटकते हम,
पोटली उठा चलें थे सयाने!
~ ~ ~
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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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