Sunday, August 5, 2018

...अंजाम बाक़ी!

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ऐ दिल, धड़कते रहना, ऐ साँस, चलते रहना,
शायद अभी ज़िंदगी में मक़ाम और बाक़ी हैं,
ऐ हिम्मत, बंधे रहना, ऐ हौसलों, बुलंद रहना,
शायद अभी खेल में अंजाम और बाक़ी हैं!
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§
5th August 2011

2 comments:

  1. इस सहम को मत समझ की अंजाम हो गया,
    हिम्मत रख फिर हौसला बाँध,
    कदम बढ़ा फिर एक नए अंदाज़े सोंच से चल,
    तू तो यु ही मायूस है,
    यहाँ
    हर एक धड़क पे, हर एक सांस पे किस्मत बदलती है।

    सिर्फ एक सोंच से अंदाज़े कदम बदलता है,
    हर एक अंदाज़े कदम से मंज़िल बदलती है,
    सिर्फ एक नई मंज़िल से रास्ते बदलते है,
    और हर रास्ते से सोंच बदलती है।

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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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