Tuesday, November 20, 2018

...क्षितिज गाँव!

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क्षितिज के उस पार, चलो उस गाँव,
खिलखिलाती धूप, मुस्कुराती छांव,
सुनहेरे कल के सपने चलते नंगे पाँव,
जिजीविषा हर लहर पर लगाती दाँव,
चलो क्षितिज के उस पार, उस गाँव!
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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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