'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Friday, July 12, 2019
...बवंडर सा!
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उड़ती धूल के बवंडर सा है,
फैली रेत के समंदर सा है,
बिखरे दिलों के मंज़र सा है,
यह दिल्ली भी शहर क्या है?
फ़ौलाद से बना खंडर सा है!
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Inspired by the haze in delhi!
12th July, 2019
Friday, July 5, 2019
...सवेरे शाम!
~ ~ ~
कुछ सवेरे शाम से
कुछ मिले बेनाम से
कुछ रहे नाकाम से
कुछ रातों के सहारे
कुछ भूले हुए किनारे
कुछ तेरे लिखे पैग़ाम से
कुछ सुनहेरे तेरे नाम से
कुछ बेबस अंजाम से
कुछ भागते परेशान से
कुछ झाँकते गिरेबाँ मे
कुछ सवेरे फिर शाम से
अब मेरे किस काम से!
~ ~ ~
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