'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Monday, October 28, 2019
...बेख़बर होता!
~ ~ ~
है जो मेरी खबर कुछ उसको भी,
यूँही मैं ख़ुद से बेख़बर नहीं होता,
है वो मेरा मुंसिफ़ मेरा हाफ़िज़ भी,
यूँही मैं ख़ुद से बेख़बर नहीं सोता!
~ ~ ~
§
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