'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Monday, May 25, 2020
...चलता नसीब!
~ ~ ~
वो चलता रहा,
तुमको खबरों झगड़ों का मसाला मिलता रहा,
वो चलता रहा,
उसको रोटी नमक भी नसीब ना हुआ!
~ ~ ~
§
...उम्मीद-ए-ईद!
~ ~ ~
एक ईद ही काफ़ी है उम्मीद-ए-दीद की ख़ातिर,
हम रोज़ ज़िंदगी तेरी ईद के इंतिज़ार मे रहते हैं!
~ ~ ~
§
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