Saturday, July 17, 2010

...झुलसता दिल!

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ना तुम समझी, ना मैं समझा पाया,
ना ज़िंदगी सुलझी, ना मैं सुलझा पाया,
सुलगती रही मोहब्बत, झुलसता रहा दिल,
यह आग ना बुझी, ना मैं बुझा पाया!
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§
17th June 2010

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