'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Thursday, March 4, 2021
...खवाहिशों के पार!
~ ~ ~
ख़्वाहिशों के पार भी तो कहीं अरमान होंगे,
गुज़ारिशों के बाद ही तो कहीं महरबान होंगे,
आज लबालब पैमाना साक़ी है,
कभी हम भी तो वीरान होंगे,
आज तोहफ़ा ए मोहब्बत तो दे,
आख़िर एक बार सही,
कभी हम भी तो अनजान होंगे!
~ ~ ~
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