~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
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है अब ज़िंदगी हमारी कुछ बे-ख़याल ऐसी भी,
जिसके ख़याल को जीते है उसी को ख़याल नहीं!
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वो सिपहसालार ओ घुड़सवारों की तस्वीरें,