'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Monday, October 16, 2017
... चाहत आदत!
~ ~ ~
बिना बातें अब जी नहीं लगता,
तेरी बातों से मिलती राहत है,
सीधे साधे अब जी नहीं लगता,
कमबख़्त दिल की कोई शरारत है,
आसान जीते अब जी नहीं लगता,
मोल लेना चाहे कोई आफ़त है,
'या रब' यह आदत है या चाहत है!
~ ~ ~
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