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ना जाने क्या क्या कहे जा रहे,
मारने की बात करते दँगो के पथराव में हो,
ना जाने क्या क्या खाए जा रहे,
वो भूखे मरे छप्पन भोग ख़याली पुलाव में हो,
ना जाने क्या क्या तोड़े जा रहे,
क्या तुम भी भागीदार इस बिखराव में हो,
ना जाने क्या क्या बटोरे जा रहे,
क्या तुम भी गुनहगार इस लूटे फैलाव में हो,
ना जाने क्या क्या किए जा रहे,
क्या तुम भी ख़रीदार इस बिके सुझाव में हो,
ना जाने क्या क्या बने जा रहे,
क्या तुम भी उम्मीदवार इस बार चुनाव में हो!
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ReplyDeleteकही कुछ ज़्यादा ही पयार उमड़ रहा है
ReplyDeleteकहो कुछ ज़्यादा ही दुष्मनी उबाल रही है
फिक्र मत करो यारो ,सब मौसमी अदाकारी है
चुनाव हो जायँगे सब मर्ज ठीक हो जायेगा।