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उसको हर बात के सौ पहलू जानने होते है,
किस संगमरमर से तराशी शतरंज की बिसात,
किस संगमरमर से बनी ताज़ की बात,
किस तारे के साथ चले तो ना गुज़रे रात,
इतना सोचे जैसे ख़ानो से हीरे छानने होते है,
अपने बीच कौनसे सौ क़समें वादे मानने होते है,
उसको हर बात के सौ पहलू जानने होते है!
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27.04.2017