~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
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उस रोज़ की जद्दोजहद,
और इस रोज़ का जल जाना,
उस रोज़ की सिकश्त,
और इस रोज़ का समझ जाना,
उस रोज़ की हाए तौबा,
और इस रोज़ का यूँ सकूँ पाना,
हर रोज़ एक ही कोशिश,
उसकी मर्जी से ही चलते जाना!
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