~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
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वो जो आवाज़ ए बुलंद मे कही,
वो जो फिर भी रही बंद अनसुनी,
वो जो बेशुमार प्यार से भरी रही,
वो जो फिर भी रही मंद गुनगुनी,
वो जो जी जान झोक के करी,
वो जो फिर भी रही चंद सुनगुनी!
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[सुनगुनी: उड़ती सी ख़बर]
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