~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
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बैठा सोचूँ काहू को कैसी,
मिली ज़िंदगी ऐसी वैसी,
राज काज काहू को कैसे,
मिले ठाठ बाट ऐसे वैसे,
मजबूरी काहू को पहाड़ जैसी,
मिले मजूरी अधूरी ऐसी वैसी,
लेटा सोचूँ काहे को ऐसे,
प्रभु चलाए मोहे जैसे तैसे!
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Good one
बेहतरी!!! ईश्वर सबके लिए सोचता है।
🙃🙂
Good one
ReplyDeleteबेहतरी!!! ईश्वर सबके लिए सोचता है।
ReplyDelete🙃🙂
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