Monday, April 21, 2025

…प्रभु तैसे!

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बैठा सोचूँ काहू को कैसी,

मिली ज़िंदगी ऐसी वैसी,

राज काज काहू को कैसे,

मिले ठाठ बाट ऐसे वैसे,

मजबूरी काहू को पहाड़ जैसी,

मिले मजूरी अधूरी ऐसी वैसी,

लेटा सोचूँ काहे को ऐसे,

प्रभु चलाए मोहे जैसे तैसे!

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3 comments:

  1. बेहतरी!!! ईश्वर सबके लिए सोचता है।

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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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