~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
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जो कुछ धागों से बंधे हुए हम यार हैं,
खिंचे खिंचे भी रहे पर साथ निसार हैं,
जो मुद्दतें हुई कहीं सुनी से भी पार हैं,
मिले तस्वीरों से पर साथ गुलज़ार हैं!
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