'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Monday, October 16, 2017
... चाहत आदत!
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बिना बातें अब जी नहीं लगता,
तेरी बातों से मिलती राहत है,
सीधे साधे अब जी नहीं लगता,
कमबख़्त दिल की कोई शरारत है,
आसान जीते अब जी नहीं लगता,
मोल लेना चाहे कोई आफ़त है,
'या रब' यह आदत है या चाहत है!
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Sunday, October 15, 2017
...मज़बूर दूरियाँ!
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रातें दिनों को उधेड़ती रहीं,
हक़ीक़त ख़्वाबों को जलाती रही,
ख़ामोशी मजबूरियाँ जताती रही,
ज़िंदगी दूरियाँ बढ़ाती रही!
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§
15.10.2011
Thursday, October 12, 2017
... नीयत-ए-ख़ुदा!
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ख़ुदा की नीयत पर भी अब भरोसा नहीं रहा,
देखें जो खेल उसके मुझको तड़पाने वाले!
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