Tuesday, December 5, 2017

...जज़्बा ए ज़िंदगी!

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जज़्बा गर होता तो बात ही क्या थी,
मामूली ख़्वाबों की औक़ात ही क्या थी,
सिर्फ़ वलवले हैं, जुनून नहीं,
सिर्फ़ खोखले हैं, सकूँ नहीं,
ज़िंदगी ऐसी मिली ख़ैरात ही क्या थी!
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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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