'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Sunday, July 26, 2020
...इश्तिहार!
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सीधी बात कहने पर कोई पाबंदी भी नहीं,
फिर भी हर बात को लच्छेदार बना रखा है,
उसकी हर बात में सिर्फ़ एक ही इशारा है,
उसने हर बात को ही इश्तिहार बना रखा है!
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Wednesday, July 22, 2020
...परत सुलझती!
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परत दर परत रेत उड़ती रही,
तूफ़ान भी जैसे सब थम गया,
रेशा दर रेशा वो सुलझती गयी,
मुस्कान भी जैसे सब ग़म गया!
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Friday, July 17, 2020
...फ़ासले फ़ैसलों के!
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बेताल्लुक़ से बेतकल्लुफ़ी तक,
ग़ैरहाज़िर से हाज़िरजवाबी तक,
जरा से फासले, हौसलों के,
जरा से फासले, फ़ैसलों के!
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...बेपरवाह इंतेज़ार!
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मुसलसल देखती रहती, मुद्दत से नहीं सोई,
ऐसे भी भला बेपरवाह इंतेज़ार करे है कोई!
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Tuesday, July 14, 2020
...love abound!
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यूँ तुमने कब हमसे बात की वजह जानी,
हमने तो हमेशा मोहब्बत ही वजह मानी!
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Never you enquired reasons profound,
Forever reasons desired love abound!
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Thursday, July 2, 2020
...बहलाने शाद!
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मुझको क़यामत तक तेरी मोहब्बत के फ़साने याद आएँगे,
मिलने की एक बात, बिछड़ने के हज़ार बहाने याद आएँगे,
जब तक सलामत रहे, फिर वो जाल फँसाने बाद आएँगे,
बढ़ते पर बढ़ ना सके, इतने ग़म वो सिरहाने लाद आएँगे,
शिकन-ए-पेशानी देख ‘या रब’ मुझे बहलाने शाद आएँगे!
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