~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
पथ्थर यूही नही हूई वो आंखे, करते करे इन्तज़ार,सबब कुछ वो भी रहा होगा यार,वो जो कश्मकाह थी बिचड्ने मे उनसे,फिर अखरी बार।
पथ्थर यूही नही हूई वो आंखे,
ReplyDeleteकरते करे इन्तज़ार,
सबब कुछ वो भी रहा होगा यार,
वो जो कश्मकाह थी बिचड्ने मे उनसे,
फिर अखरी बार।