Tuesday, May 11, 2021

…ऐ ज़िंदगी!

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तुझे समझने की कोशिशें हज़ार करता हूँ,
मैं जानता हूँ मेरे यार मैं यह बेकार करता हूँ,
करना चाहूँ पर ना कुछ आर-पार करता हूँ,
किनारे बैठा मैं तुझको बीच मझदार करता हूँ,
झगड़ता हूँ तुझसे हाथ दो-चार करता हूँ,
जाने क्या चाहता हूँ जो तेरे तोहफ़ों को यूँ कर इनकार करता हूँ,
जानता हूँ तू सिर्फ़ आज है फिर क्यूँ कल की बातें यार करता हूँ,
तुझे नगद जीना है फिर भी उधार करता हूँ,
करती रह जो कारोबार तू चाहे,
कोई कलाकारी या व्यापार तू चाहे,
मुझे बहा ले जाने के बहाने तेरा ऐतबार करता हूँ,
ना समझूँ तो भी तो मेरी ही तो है,
ऐ ज़िंदगी तुझे मैं प्यार करता हूँ।
~ ~ ~
§
11th May 2012

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