'या रब'
~ ~ ~ शेर-ओ-शायरी ~ ~ ~
Tuesday, May 18, 2021
…मंजर ए मसान!
~ ~ ~
जो मेरी काँपती आवाज़ की घबराहटें समझ पाते,
वो रिसती हुई ज़िंदगी की आहटें समझ जाते,
कब तलक यह मंजर-ए-मसान रहेगा,
कब तलक दिखेंगे यह सन्नाटे समझ पाते!
~ ~ ~
§
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
sagaciouslyours
~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~
View my complete profile
Followers
Subscribe
Posts
Atom
Posts
Comments
Atom
Comments
No comments:
Post a Comment