Saturday, April 15, 2017

... फँसना बाक़ी!

~ ~ ~
अभी ग़ुलामी की बंधी ज़ंजीरों का कसना बाक़ी है,
अभी बची कुची उम्मीदों का डँसना बाक़ी है,
अभी आहिस्ता आहिस्ता मुकम्मल फँसना बाक़ी है!
~ ~ ~
§

No comments:

Post a Comment

My photo
~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

Followers