Thursday, February 27, 2025

…बेकार इंतिज़ार!

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कितने भागते खपते खपाते,

कितने लहजों से बातें बनाते,

कितने लफ़्ज़ों मे मकसद बताते,

शाम तक आते सब दर किनार कर देते,

कितने हिसाब बही खाते बेकार कर देते,

शाम तक आते सब तेरा इंतिज़ार कर देते!

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Wednesday, February 19, 2025

…उसकी मर्जी!

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उस रोज़ की जद्दोजहद,

और इस रोज़ का जल जाना,

उस रोज़ की सिकश्त,

और इस रोज़ का समझ जाना,

उस रोज़ की हाए तौबा,

और इस रोज़ का यूँ सकूँ पाना,

हर रोज़ एक ही कोशिश,

उसकी मर्जी से ही चलते जाना!

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…झूठ रूठ!

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इतना सारा सच,

और बस ज़रा सा झूठ,

इतना सारा प्यार,

और फिर भी रूठ रूठ!

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…चंद सुनगुनी!

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वो जो आवाज़ ए बुलंद मे कही,

वो जो फिर भी रही बंद अनसुनी,

वो जो बेशुमार प्यार से भरी रही,

वो जो फिर भी रही मंद गुनगुनी,

वो जो जी जान झोक के करी,

वो जो फिर भी रही चंद सुनगुनी!

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        [सुनगुनी: उड़ती सी ख़बर]

Sunday, January 19, 2025

रहम-ओ-करम!

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एक ज़ीस्त-ए-रहम जीना,

और भरम का बढ़ते जाना,

एक इबादत मे सर झुकाना,

और करम का बढ़ते जाना!

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ज़ीस्त: existence

भरम: trust

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~ ~ ~ the seeker is sought ~ ~

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